गीत
तुम किसी
से यह बात मत कहना ,
कोई
तुम्हारी दाह में जल रहा है |
नयन में तुम्हारे सपने सजा कर ,
अश्रु में किसी के प्राण गल रहे हैं |
बूँद बूँद पर चिर प्यास की कहानी ,
लेकर किसी के साँस चल रहे हैं |
तुम किसी से यह बात मत कहना ,
कोई तुम्हारी चाह में गल रहा है |
प्राण में तुम्हारी सुधियाँ बसा कर ,
आज तक किसी के गीत रो रहे हैं |
गीत के गीले स्वरों पर किसी की ,
पीड़ा मचलती स्वप्न सो रहे हैं |
तुम किसी से यह बात मत कहना ,
कोई तुम्हारी थाह में छल रहा है |
तुम्हारे निठुर प्यार की साधना में ,
किसी के ह्रदय की करुणा मचलती |
पग तो थके बार बार पंथ में पर ,
किसी
की विकल चाहना नित्य चलती |
तुम किसी से यह बात मत कहना ,
कोई तुम्हारी राह में चल रहा है |
तुम्हारे निठुर प्यार की साधना में ,
जवाब देंहटाएंकिसी के ह्रदय की करुणा मचलती |
पग तो थके बार बार पंथ में पर ,
किसी की विकल चाहना नित्य चलती |///
मन की विरह वेदना की मधुर, सरस और मार्मिक अभिव्यक्ति//
हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आदरणीय कविराज 🙏🙏💐💐
बहुत बहुत धन्यवाद आभार रेणु जी बधाई व शुभ कामनाओं के लिए
जवाब देंहटाएंबड़ी ही उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंमनोज जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंबहुत सुन्दर भावसिक्त सृजन ।
जवाब देंहटाएंमीना जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद
हटाएंतुम्हारे निठुर प्यार की साधना में ,
जवाब देंहटाएंकिसी के ह्रदय की करुणा मचलती |
पग तो थके बार बार पंथ में पर ,
किसी की विकल चाहना नित्य चलती |
बहुत ही लाजवाब एवं मार्मिक...
हृदयस्पर्शी सृजन।
सुधा देवरानी जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर परम अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंकोमल भावनाओं को जोड़ कर लिखी मन की बात ... असरदार ... लाजवाब ...
बहुत बहुत धन्यवाद आभार नासवा जी
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