सोमवार, 6 सितंबर 2021

सारे जग की खुशी तुम्हारे घर आकर मुस्कायेगी

 

यह रचना १९७० के दशक की है | जब सारे देश में परिवार नियोजन की योजना अपने चरम पर थी |

 

                 गीत    

 

सारे जग की खुशी तुम्हारे घर आकर मुस्कायेगी |

जीवन की बगिया के माली ,

एक गुलाब लगाओ |

महके सारी धरती जिससे ,

ऐसा फूल खिलाओ |

सारे जग की गंध तुम्हारी गली गली महकाएगी |

तारों से तो रात अंधेरी ,

एक चन्द्रमा लाओ |

कोना कोना सोना कर दे                                                                 ऐसा सूर्य उगाओ |

नन्हीं किरन तुम्हारा आंगन रोली से रंग जायेगी |

          अनगिनती ग्रंथों से मत ,

जीवन का बोझ बढाओ |

मानस एक एक गीतांजलि ,

रचो , अमर हो जाओ |

सारे जग की कीर्ति तुम्हारे घर घर गीत सुनाएगी |

  

 

 

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