मेरी पलकें मत छुओ
मेरी पलकें मत छुओ तुम्हारा आंचल
गीला हो जायेगा ।
मेरी पलकों में सावन है ,
तनिक तपें तो बरसें बादल ।
रिमझिम से गीला हो जाता ,
अंखियों की कोरों का काजल ।
मेरे आंसू मत छुओ तुम्हारा कर कजरीला
हो जायेगा ।
जाने कितनी पीर भरी है ,
मन कि वीणा के तारों में ।
जो भी गाये मन भर आये,
आकुल - व्याकुल झंकारों में
मेरे गीत न गाओ तुम्हारा स्वर दर्दीला
हो जायेगा ।
कितना समझाया इस मन को ,
पर इसने ऐसी हठ ठानी ।
जीवन सौंप दिया माटी को ,
श्वासें तक हो गईं विरानी ।
मेरी श्वासें मत छुओ तुम्हारा ह्रदय हठीला हो जायेगा ।
आलोक सिन्हा
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