गीत
आओ आज वहां चलते हैं जहां प्यार की गंगा बहती , सब हंस कर मिलते जुलते हैं आओ आज वहां चलते हैं ||
छोटे छोटे घर झौंपड़ियाँ , छोटे छोटे स्वप्न नयन में | बच्चे कभी न सोयें भूखे , बस ये कर जाऊं जीवन में | हर दिन बस कल की चिंता में , मिट्टी के चूल्हे जलते हैं |
कलियों फूलों जैसा बचपन , भविष्य खोजता गलियारों में | भाल लिखी रेखाएं कहती , हर पथ गुम है अंधियारों में ,
मन को घुटन , पाँव को छाले , आँखों को आंसू मिलते हैं |
दिन हो या रजनी पूनम की , तम न तनिक पल भर घटता है | जग कितने नित पर्व मनाये , मरघट सा मातम रहता है |
ऋतु कोई हो पावस जैसे आँखों से आँसू ढ़लते हैं |
कहीं जैन मन्दिर , गुरु द्वारे , साईं बाबा शिरडी वाले | कहीं चर्च, शिव मन्दिर, मस्जिद , बौद्ध मठों के भवन निराले |
कहीं न कोई भेद मनों में , बस मीठे रिश्ते पलते हैं |
कोई धर्म जाति हो कोई , पर मन गंगा जैसा निर्मल | कितने भी अभाव सन्मुख हों , डिगता नहीं सत्य का आँचल |
श्रम- मन्दिर की पूजा ,जिसमें - आशा के दीपक बलते हैं |
अलोक सिन्हा