गीत
तुम किसी
से यह बात मत कहना ,
कोई
तुम्हारी दाह में जल रहा है |
नयन में तुम्हारे सपने सजा कर ,
अश्रु में किसी के प्राण गल रहे हैं |
बूँद बूँद पर चिर प्यास की कहानी ,
लेकर किसी के साँस चल रहे हैं |
तुम किसी से यह बात मत कहना ,
कोई तुम्हारी चाह में गल रहा है |
प्राण में तुम्हारी सुधियाँ बसा कर ,
आज तक किसी के गीत रो रहे हैं |
गीत के गीले स्वरों पर किसी की ,
पीड़ा मचलती स्वप्न सो रहे हैं |
तुम किसी से यह बात मत कहना ,
कोई तुम्हारी थाह में छल रहा है |
तुम्हारे निठुर प्यार की साधना में ,
किसी के ह्रदय की करुणा मचलती |
पग तो थके बार बार पंथ में पर ,
किसी
की विकल चाहना नित्य चलती |
तुम किसी से यह बात मत कहना ,
कोई तुम्हारी राह में चल रहा है |