बुधवार, 14 अप्रैल 2021

लो पंछी नीड़ों से जाते |

 

                     गीत

 

        लो पंछी नीड़ों से जाते |

                पूरब ने बिखराई रोली |

                चल दी अलमस्तों की टोली |

           चलते साथ प्रभाती गाते |

           लो पंछी नीड़ों से जाते |

                रजनी भर के सपनें संग हैं |

                साँसों से प्रिय अपने संग हैं |

            राह कटेगी गाते गाते |

            लो पंछी नीड़ों से जाते |

                 पंखों में साहस है गति है |

                 जीवन का पर्याय प्रगति है |

             जो चलते वे मंजिल पाते |

              लो पंछी नीड़ों से जाते |                                      

 


     

 

  

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत आभार धन्यवाद भाई साहब

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  2. राह कटेगी गाते गाते |

    लो पंछी नीड़ों से जाते |

    पंखों में साहस है गति है |

    जीवन का पर्याय प्रगति है |----गहरी पंक्तियां।

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  3. बहुत बहुत आभार धन्यवाद संदीप जी ।

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  4. बहुत सुंदर और प्रेरक कविता।सादर शुभकामनाएं आदरणीय आलोक सिन्हा जी ।

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद आभार जिज्ञासा जी

    जवाब देंहटाएं
  6. पंखों में साहस है गति है |

    जीवन का पर्याय प्रगति है |

    जो चलते वे मंजिल पाते |

    लो पंछी नीड़ों से जाते |
    बहुत सुंदर प्रेरक रचना।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बहुत धन्यवाद आभार ज्योति जी

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  8. सुन्दर नवगीत ...
    प्रेरणा के नव स्वर लिए ... भाओं की उन्मुक्त उड़ान का गीत ...

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  9. बहुत बहुत धन्यवाद आभार नासवा जी

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  10. मनोज जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद

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