यह रचना १९७० के दशक की है | जब
सारे देश में परिवार नियोजन की योजना अपने चरम पर थी |
गीत
सारे जग की खुशी तुम्हारे घर
आकर मुस्कायेगी |
जीवन की बगिया के माली ,
एक गुलाब लगाओ |
महके सारी धरती जिससे ,
ऐसा फूल खिलाओ |
सारे जग की गंध तुम्हारी गली
गली महकाएगी |
तारों से तो रात अंधेरी ,
एक चन्द्रमा लाओ |
कोना कोना सोना कर दे ऐसा सूर्य उगाओ |
नन्हीं किरन तुम्हारा आंगन रोली
से रंग जायेगी |
अनगिनती ग्रंथों से मत ,
जीवन का बोझ बढाओ |
मानस एक एक गीतांजलि ,
रचो , अमर हो जाओ |
सारे जग की कीर्ति तुम्हारे घर
घर गीत सुनाएगी |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 07 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-09-2021) को चर्चा मंच "भौंहें वक्र-कमान न कर" (चर्चा अंक-4181) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आलोक सिन्हा7 सितंबर 2021 को 6:40 am
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार मयंक जी रचना को सम्मान देने के लिए |
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बहुत सुंदर भाव समेटे हुए । भावपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति आलोक सर!
जवाब देंहटाएंमीना जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंमनोज जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद टिप्पणी के लिए
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउषा जी , बहुत बहुत धन्यवाद आभार टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबच्चों का आना खुशोयं का आना ही होता है ...
जवाब देंहटाएंकिसी का सृजन कमाल तो है ही फिर किसी की साँसों का सृजन को प्राकृति का निर्माण है ...
गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...
बहुत बहुत धन्यवाद आभार नासवा जी सुन्दर टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंउम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे
जवाब देंहटाएंहमारी नयी पोर्टल www.pubdials.com में आपका स्वागत हैं
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महोदय , बहुत बहुत धन्यवाद |
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, आलोक भाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार ज्योति जी सुन्दर टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंकंचन से चमकते स्पष्ट भाव ।
प्रेरक अभिनव।
बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंजीवन की बगिया के माली ,
जवाब देंहटाएंएक गुलाब लगाओ |
महके सारी धरती जिससे ,
ऐसा फूल खिलाओ |
वाह!!!
उत्तम भावों के साथ बहुत ही सारगर्भित एवं लाजवाब गीत।
सुधा जी , बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंमनोज जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
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