शनिवार, 9 मार्च 2024

सपनों ने संन्यास लिया तो

                                  गीत

 सपनों ने संन्यास लिया तो पगली आँखों का क्या होगा |

          आँसू से भीगी अँखियाँ भी ,

          सपनों में मुस्काने लगती | 

          कितनी हों दर्दीली श्वासें ,

          प्रीति जगे तो गाने लगतीं |

 प्रीति हुई वैरागिन तो इन भोली श्वासों का क्या होगा |

          पीर न लेती जनम धरा पर ,

          तो साँसों के फूल न खिलते |

          यमुना जल पानी कहलाता ,

          यदि राधा के अश्रु न मिलते |

 झूठी हैं यदि अश्रु कथाएँ तो इतिहासों का क्या होगा |

          तिल तिल जलकर ही दीपक ने ,

          मंगलमय उजियारा पाया |

          जितना दुःख सह लेता है मन ,

          उतनी उजली होती काया |

पुन्य पाप से हार गये तो इन विश्वासों का क्या होगा |  

 

16 टिप्‍पणियां:

  1. गीत पढ़कर कभी नीरज तो कभी बच्चन की याद आती रही, अति सुंदर भावपूर्ण सृजन !

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  2. पीर न लेती जनम धरा पर ,
    तो साँसों के फूल न खिलते |
    यमुना जल पानी कहलाता ,
    यदि राधा के अश्रु न मिलते |
    वाह!!!!
    क्या बात...
    बहुत बहुत लाजवाब मनभावन गीत।

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुधा जी

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  4. भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति ।अति सुन्दर सृजन ।

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    1. रंगोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ सर🙏

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    2. होली की आपको भी बहुत बहुत बधाई हार्दिक शुभकामनाएं

      हटाएं
  5. बहुत बहुत धन्यवाद आभार मीना जी

    जवाब देंहटाएं
  6. कितनी हों दर्दीली श्वासें ,
    प्रीति जगे तो गाने लगतीं |
    प्रीति हुई वैरागिन तो इन भोली श्वासों का क्या होगा |
    हर छंद मन को गहराई तक छू गया। सादर प्रणाम।

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  7. yashoda Agrawal ने "मिले तो मगर अजनवी की तरह" पर टिप्पणी की
    4 मार्च 2024
    आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 05 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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