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रविवार, 19 जुलाई 2020

मुक्तक

मुक्तक 

 आंसुओं के घर शमाँ रात भर नहीं जलती , 
 आंधियां हों तो कली डाल पर नहीं खिलती | 
 धन से हर चीज पाने की सोचने वालो , 
 मन की शान्ति किसी दुकान पर नहीं मिलती | 

                       २

 जिन्दगी एक दर्द भी है गीत भी है ,
 जिन्दगी एक हार भी है जीत भी है | 
 तुम इसे यदि प्यार का एक साज समझो , 
 तो यह सौ खुशियों भरा संगीत भी है |

स्वरचित --- आलोक सिन्हा http://aloksinha1508.blogspot.com/2020/07/blog-post.html



 

सच मुँह से निकल गया

              गजल     मैं बहारों के घर कल गया , आँधियों को पता चल गया ।                                                            ...