आंसुओं के घर शमाँ रात भर नहीं जलती ,
आंधियां हों तो कली डाल पर नहीं खिलती |
धन से हर चीज पाने की सोचने वालो ,
मन की शान्ति किसी दुकान पर नहीं मिलती |
२
जिन्दगी एक दर्द भी है गीत भी है ,
जिन्दगी एक हार भी है जीत भी है |
तुम इसे यदि प्यार का एक साज समझो ,
तो यह सौ खुशियों भरा संगीत भी है |
स्वरचित --- आलोक सिन्हा http://aloksinha1508.blogspot.com/2020/07/blog-post.html
आदरणीय आलोक जी, आपका ब्लॉग जगत में हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है । ब्लॉगजगत के पाठकों को आप जैसे विद्वान और
जवाब देंहटाएंरचनाकार की मधुर सरस रचनाएँ पढ़ने को मिलेगी। आपका ब्लॉग देखकर कितनी खुशी हो रही है बता नहीं सकती । आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। आप ब्लॉगर के रूप में आप अपनी पहचान बनाएं या दुआ है। सदर प्रणाम और पुनः शुभकामनायें 🙏🙏💐💐💐🌹🌹🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद रेनू जी ।
हटाएंधन से हर चीज पाने की सोचने वालो ,
जवाब देंहटाएंमन की शान्ति किसी दुकान पर नहीं मिलती
वाह!!!
क्या बात...
बहुत ही लाजवाब
बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 29 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसम्मान देने के लिए बहुत बहुत ह्आरदय से भार
हटाएंवाह! सुंदर!! स्वागत, आभार और बधाई!!!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार धन्यवाद
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