बुधवार, 11 अगस्त 2021

जब से भाभी मिलीं

 

                              गीत

                   जब से भाभी मिलीं दिन सुघर हो गये ,

                   सूने सूने सभी पल मधुर हो गये |

                        पायलें फागुनी गीत गानें लगीं ,

                        चूड़ियाँ हर घड़ी गुनगुनानें लगीं |

                  जब से पावन मृदुल पाँव उनके पड़े ,

                  सब घर देहरी आंगन मुखर हो गये |

                        कब सवेरा हुआ , कब दुपहरी ढली ,

                        कुछ नहीं ज्ञात कब दीप-बाती जली |

                  जब से बातें शुरू मन की उनसे हुईं ,

                  सब दिवस जैसे छोटे पहर हो गये |

                            चाँदनी से अधिक गात कोमल , विमल ,

                        नयन जैसे नेह के खिले हों कमल |

                  नख - शिख रूप कैसे व्यक्त उनका करूं ,

                  शब्द बौने औअक्षम अधर हो गये | 

 

                    स्वरचित मौलिक -  आलोक सिन्हा

 

 

 

14 टिप्‍पणियां:

  1. जब से भाभी मिली!!!
    भाभी जैसे रिश्ते पर समधुर भावों से लिखा यह गीत बहुत ही मनभावन है
    कब सवेरा हुआ , कब दुपहरी ढली ,
    कुछ नहीं ज्ञात कब दीप-बाती जली |
    सच में जब नई-नई पहली भाभी घर आती है तो कितनी चहल -पहल हो जाती है घर में...
    बहुत ही लाजवाब गीत।

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  2. सुधा जी इतनी जल्दी और एक बहुत सुखद टिप्पणी के लिए ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद आभार |

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  3. हर रिश्ते का अपना आनंद और गरिमा रहती है ...
    आपने बहुत ही सुन्दर गीत से भाभी को मान दिया है ... खुश रहे ...

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  4. नासवा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार मन मोहक टिप्पणी के लिए |

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  5. आलोक भाई, भाभी के लिए बहुत ही कम गीत पढ़ने को मिलते है। भाभी पर इतनी सुंदर रचना पढ़ कर खुशी हुई। बहुत बधाई आपके

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  6. ज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर सटीक टिप्पणी के लिए ।

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  7. बहुत बढ़िया गीत आलोक जी। भाभी को मान देने वाला ये गीत बहुत पसंद आया।

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  8. बहुत बहुत धन्यवाद आभार वीरेंद्र जी सुन्दर टिप्पणी के लिए

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  9. शिवम कुमार पांडेय - १२.८.२१
    बहुत सुन्दर

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  10. शिवम जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  11. बहुत बहुत धन्यवाद आभार कविता जी

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