गीत
गीत की हर कड़ी तुम्हारे लिए है |
हर गीत में तुम्हारे स्मृति बसी है ,
याद आना तो मन की बेबसी है |
प्रीत की हर घड़ी तुम्हारे लिए है |
गीत की हर कड़ी तुम्हारे लिए है |`
गा रही तुम्हारे लिए हर सांस है ,
तुम नहीं तो मन बहुत ही उदास है |
अश्रु की हर लड़ी तुम्हारे लिए है |
गीत की हर कड़ी तुम्हारे लिए है |`
लोचनों के दीपक जलाये हुए हूँ ,
पथ तुम्हारा जगमगाए हुए हूँ | प्राण की फुलझड़ी तुम्हारे लिए है |
गीत की हर कड़ी तुम्हारे लिए है |
अश्रु की हर लड़ी तुम्हारे लिए है |
जवाब देंहटाएंगीत की हर कड़ी तुम्हारे लिए है |`
वाह.....
मनोज जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंसुन्दर नवगीत।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंसुंदर और हृदयस्पर्शी गीत। आपको शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार वीरेन्द्र जी
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 09-04-2021) को
" वोल्गा से गंगा" (चर्चा अंक- 4031) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
मीना जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार रचना को सम्मान देने के लिए |
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार ओंकार जी
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रेम गीत
जवाब देंहटाएंअनीता जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंप्रीति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंबहुत अच्छा गीत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंतुषार जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर गीत।
जवाब देंहटाएंज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंअनुराधा जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद
हटाएंवियोग श्रृंगार पर हृदय स्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
बहुत बहुत आभार धन्यवाद
हटाएंमन समर्पित ... तन समर्पित ... खूबसूरत रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार धन्यवाद संगीता जी ।
हटाएं