मेघ घिर आये |
गीत
मेघ घिर आये गगन में |
लोचनों को नीर लेकर ,
पीर की जागीर लेकर ,
सुप्त सब सुधियाँ जगानें ,
अन्तर के नन्दन वन में |
मेघ घिर आये गगन में |
झुक रहा बैरी अँधेरा ,
घुट रहा
घर द्वार मेरा ,
कौन सा ये विष घुला है ,
आज की शीतल पवन में |
मेघ
घिर आये गगन में |
तुम हमारे , हम तुम्हारे ,
पर नदी
के दो किनारे ,
प्राण ! औ’ कितनी कमी है ,
साधना में , अश्रु कण में | मेघ घिर आये गगन में |
आलोक सिन्हा
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