गीत
कब तक आशा –दीप जलाऊँ ,
इस अल्लढ़ मन को समझाऊँ |
जनम जनम से मन की राधा ,
खोज रही अपना मन भावन |
तृष्णा नहीं मिटी दर्शन की ,
रीत गया यह सारा जीवन |
अब कब तक उस श्याम बरन को ,
नित श्वासों का अर्घ्य चढाऊं |
सोचा था मन के उपवन में ,
रंग बिरंगे फूल खिलेंगे |
जब जब चाँद हंसेगा नभ में ,
सारे सुख भू पर उतरेंगे |
अब कब तक कल्पना कुन्ज में ,
गाऊँ , चातक सा अकुलाऊँ |
जाने कब से पागल सुधियाँ ,
बैठीं पथ में पलक बिछाये |
कुछ अतृप्ति , कुछ पीर संजोकर ,
स्वागत में दृग दीप जलाये |
अब कब तक उस भोर किरन की ,
सतत प्रतीक्षा करता जाऊं |
स्वरचित – आलोक सिन्हा
बहुत ही सुंदर रचना, सादर नमन बधाई हो
जवाब देंहटाएंज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंकब तक आशा –दीप जलाऊँ ,
जवाब देंहटाएंइस अल्लढ़ मन को समझाऊँ |
खुद से प्रश्न करता मन -- अधूरी कामनाएं और चातक मन की कोई प्रगाढ़ कल्पना -- आपकी भावपूर्ण रचनाएँ मन को काव्य का अद्भुत आनंद प्रदान करती हैं आलोक जी | सादर प्रणाम और शुभकामनाएं|
बहुत बहुत धन्यवाद आभार सार्थक अच्छी टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंमन में उमड़ते भावों को बहुत सुंदरता से
जवाब देंहटाएंगीत में पिरोया है
बहुत खूब
बधाई
बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुखद टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंवाह ,बहुत बढ़िया लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार शिवम जी
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार ज्योति जी
जवाब देंहटाएंआलोक जी सुंदर और भावपूर्ण रचना के लिए आपको बधाई। बहुत बढ़िया सृजन आलोक जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार वीरेन्द्र जी सुन्दर टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंआन्तरिक ऊहापोह का सुन्दर विश्लेषण।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद आभार भाई साहब
जवाब देंहटाएंवाह आलोक जी ... ह्रदय के कोमल भावों को छू गई आपकी रचना ...
जवाब देंहटाएंमन के भावों को संतुलित करने का प्रयास ... भावभीनी रचना ...
नासवां जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंअब कब तक कल्पना कुन्ज में ,
जवाब देंहटाएंगाऊँ , चातक सा अकुलाऊँ |
कब तक आशा –दीप जलाऊँ ,
इस अल्लढ़ मन को समझाऊँ |
वाह!!!
आकुल मन का अपने अराध्य से सटीक प्रश्न
बहुत ही मनभावन लाजवाब सृजन।
बहुत अच्छी और गीत के वास्तविक मर्म को इंगित करने वाली टिप्पणी के लिए सुधा जी बहुत बहुत धन्यवाद ह्रदय से आभार |
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंसंजय जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
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