गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

याद न तब भूली जायेगी

 याद न तब भूली जायेगी                                                                         गीत                                                                                                

 

   याद न तब भूली जायेगी

       रवि का रथ ओझल होने पर ,

       सांझ अनमनी सुधियाँ लेकर -                                                                              .            बैठी विकल चकोरी कोई ,        

       तारों से मन बहलायेगी |                                                                                                    

           याद न तब भूली जायेगी | 

       मुस्काकर दो पल आंगन में ,

       मौन दुपहरी के दामन् में ,

       कोई कलिका जब खिलने से -

       पहले ही मुरझा जायेगी |

              याद न तब भूली जायेगी |

       चुपके से उपवन  में आकर ,

       गरम गरम पंखुरी सहलाकर , 

       शीतल पवन धूप से जलते  ,

       फूलों को जब दुलरायेगी  |

           याद न तब भूली जायेगी | 

      निशि भर कभी किसी निवास से ,

       घर के बिलकुल बहुत पास से ,

       शहनाई की मीठी मीठी ,

       धुन जब कानों में आयेगी |

            याद न तब भूली जायेगी |

       पास किसी तरु की डाली पर

       अपनी मस्ती में इठलाकर ,

       मधुऋतु में जब काली कोयल .

       गीत मगन होकर गायेगी |

            याद न तब भूली जायेगी | 

       थकन मिटाने को निज तन की ,

       पीड़ा पीकर के जीवन की ,

       दो पल जब निशि की छाया में ,

       सारी दुनियां सो जायेगी |

           याद न तब भूली जायेगी | 

 स्वरचित --- आलोक सिन्हा                                                                                                                       निवेदन ---- कुछ प्रियजनों की शिकायत है कि उन्हें ई मेल से मेरी नई रचनाएँ नहीं मिल रही हैं | अगर आपको भी न मिल रही हों तो कृपया मेरे सभी ब्लॉग ई मेल द्वारा दुबारा फॉलो करने की कृपा करें |

33 टिप्‍पणियां:

  1. अरे इतना सुंदर, भावपूर्ण, हृदयस्पर्शी गीत; और कोई टिप्पणी नहीं ! आश्चर्यचकित हूँ यह देखकर । बहुत सुंदर गीत रचा आलोक जी आपने । आँखें नम हो गईं मेरी ।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद आभार जितेन्द्र जी ह्रदय स्पर्शी टिप्पणी के लिए

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  3. बहुत भावपूर्ण प्यारा गीत । मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया।

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  4. संगीता जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद आभार मीना जी कुनकुनी धूप --- की चर्चा में सम्समिलित होने हेतु आमंत्रित करने के लिए |

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  6. बहुत सुंदर विरह गीत हृदय स्पर्शी उदासियों को समेटे ।
    भाव मुखरित होकर उभरे हैं।
    सुंदर सृजन।

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  7. दिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना।

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  8. ज्योति जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद

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  9. भावपूर्ण व हृदयस्पर्शी रचना शुभकामनाओं सह।

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  10. दो पल जब निशि की छाया में ,
    सारी दुनियां सो जायेगी |
    याद न तब भूली जायेगी |

    बहुत सुंदर रचना आलोक सिन्हा जी 🌹🙏🌹

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  11. निशि भर कभी किसी निवास से ,

    घर के बिलकुल बहुत पास से ,

    शहनाई की मीठी मीठी ,

    धुन जब कानों में आयेगी |

    याद न तब भूली जायेगी |
    भावपूर्ण हृदयस्पर्शी गीत सर,
    मुझे भी आपकी रचनाएँ नहीं मिल रही हैं | मैं फिर से एक बार फॉलो करके देखती हूँ ,सादर नमन आपको

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  12. मनोज जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद

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  13. थकन मिटाने को निज तन की ,

    पीड़ा पीकर के जीवन की ,

    दो पल जब निशि की छाया में ,

    सारी दुनियां सो जायेगी |

    याद न तब भूली जायेगी | अंतर्मन को छूती सारगर्भित रचना..सुन्दर शब्दों का अविरल प्रवाह..

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  14. जिज्ञासा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  15. बहुत ही खूबसूरत रचना , मुझे तो ये रचना भी नहीं भूलेगी , आलोक जी ढेरों बधाई हो ,हार्दिक आभार, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यबाद

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  16. बहुत बहुत आभार धन्यवाद ज्योति जी

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  17. हृदय के तार झंकृत करती बहुत सुंदर रचना

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  18. बहुत बहुत आभार धन्यवाद अरविन्द जी ।

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  19. इस कविता को दुबारा पढ़ा तो पहुंच गया आप की सोच के निकट

    ....दो पल जब निशि की छाया में ,

    सारी दुनियां सो जायेगी

    क्या बात है बहुत ही खूबसूरत

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  20. संजय जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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