छंद
जीवन की नाव कभी फंसे न भँवर में कहीं ,
प्यार की पतवार से अभय हो खे दीजिये |
अगला नव जनम मिले सभी खुशियों से भरा ,
पर –पीर बाँटने का हर जतन नित कीजिये |
काम क्रोध लोभ मोह तृष्णा का न चढ़े ज्वर ,
सतसंग रत गुरु वचनों का सोम-रस पीजिये |
तन न कहीं घायल हो संघर्ष में जीवन के ,
कवच बुजुर्गों से दुआओं का ले लीजिये |
सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंशिवम जी बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंमीना जी बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर संदेश देती सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा जी बहुत बहुत आभार
हटाएंबुज़ुर्गों की दुआ साथ हो तो जीवन सरल, सहज और सुन्दर हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंअच्छा सन्देश देती रचना है ...
नासवा जी बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंशानदार सृजन..
जवाब देंहटाएंगिनी-चुनी पंक्तियों में बहुत कुछ समझा दिया आपने आदरणीय आलोक जी ।
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