सोमवार, 6 सितंबर 2021

सारे जग की खुशी तुम्हारे घर आकर मुस्कायेगी

 

यह रचना १९७० के दशक की है | जब सारे देश में परिवार नियोजन की योजना अपने चरम पर थी |

 

                 गीत    

 

सारे जग की खुशी तुम्हारे घर आकर मुस्कायेगी |

जीवन की बगिया के माली ,

एक गुलाब लगाओ |

महके सारी धरती जिससे ,

ऐसा फूल खिलाओ |

सारे जग की गंध तुम्हारी गली गली महकाएगी |

तारों से तो रात अंधेरी ,

एक चन्द्रमा लाओ |

कोना कोना सोना कर दे                                                                 ऐसा सूर्य उगाओ |

नन्हीं किरन तुम्हारा आंगन रोली से रंग जायेगी |

          अनगिनती ग्रंथों से मत ,

जीवन का बोझ बढाओ |

मानस एक एक गीतांजलि ,

रचो , अमर हो जाओ |

सारे जग की कीर्ति तुम्हारे घर घर गीत सुनाएगी |

  

 

 

24 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 07 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बहुत धन्यवाद आभार यशोदा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-09-2021) को चर्चा मंच      "भौंहें वक्र-कमान न कर"     (चर्चा अंक-4181)  पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आलोक सिन्हा7 सितंबर 2021 को 6:40 am
      बहुत बहुत धन्यवाद आभार मयंक जी रचना को सम्मान देने के लिए |

      जवाब देंहटाएं

      हटाएं
  4. बहुत सुंदर भाव समेटे हुए । भावपूर्ण रचना ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. संगीता जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  5. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति आलोक सर!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मीना जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  6. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मनोज जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद टिप्पणी के लिए

      हटाएं
  7. उषा जी , बहुत बहुत धन्यवाद आभार टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  8. बच्चों का आना खुशोयं का आना ही होता है ...
    किसी का सृजन कमाल तो है ही फिर किसी की साँसों का सृजन को प्राकृति का निर्माण है ...
    गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बहुत धन्यवाद आभार नासवा जी सुन्दर टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  10. उम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे

    हमारी नयी पोर्टल www.pubdials.com में आपका स्वागत हैं
    आप इसमें अपनी प्रोफाइल बिना किसी लगत के बनके अपनी कविता , कहानी प्रकाशित कर सकते हैं, फ्रेंड बना सकते हैं, एक दूसरे की पोस्ट पे कमेंट भी कर सकते हैं,
    Create your profile now : www.pubdials.com

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, आलोक भाई।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बहुत धन्यवाद आभार ज्योति जी सुन्दर टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर!
    कंचन से चमकते स्पष्ट भाव ।
    प्रेरक अभिनव।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए

    जवाब देंहटाएं
  15. जीवन की बगिया के माली ,

    एक गुलाब लगाओ |

    महके सारी धरती जिससे ,

    ऐसा फूल खिलाओ |

    वाह!!!
    उत्तम भावों के साथ बहुत ही सारगर्भित एवं लाजवाब गीत।

    जवाब देंहटाएं
  16. सुधा जी , बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं