बुधवार, 21 जुलाई 2021

रिमझिम पड़ें फुहार ,

      

           वर्षा गीत 

                रिमझिम पड़ें फुहार  ,

                 हमारे आंगन में |

                मन की कलियाँ खिल मुस्कायें ,

                डाली झूम झूम झुक जाएँ ,

                     आई लौट बहार ,

                         हमारे आंगन में |

               नई उमंगें पेंग बढाएं ,                                                                                                                                                                                      सपनों के नभ को छू आयें ,

                     गाये पिकी मल्हार ,

                        हमारे आंगन में |

              सांसें विकल कजरिया गायें ,

              सुधियाँ पथ में पलक बिछाएं ,

                      मुतियन वन्दन वार ,

                       हमारे आंगन में | 

 स्व रचित मौलिक --- आलोक सिन्हा 

29 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर वर्षागीत है आलोक जी। बहुत-बहुत बधाई।

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    1. वीरेन्द्र जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद सुन्दर टिप्पणी के लिए |

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  2. मीना जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार रचना को सम्मान देने के लिए |

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  3. सुधियाँ पथ में पलक बिछाएं ,

    मुतियन वन्दन वार ,

    हमारे आंगन में | सजल भावों में लिखित रचना मुग्ध करती है - - साधुवाद सह।

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    1. शांतनु जी सुन्दर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  4. बहुत ही सुंदर बरखा गीत आदरणीय सर,सादर नमन आपको

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    1. सुन्दर टिप्पणी के लिए कामिनी जी बहुत बहुत आभार |

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  5. मेरी टिप्पणी नहीं दिख रही । कल ही इसे पढ़ कर गयी थी । आज तो पुनः इस रचना का रसास्वादन लेने आए थी ।

    खैर ....
    रिमझिम फुहार से झूलों तक और झूलों से सपनों तक खूब पेंग बढाएँ । मनभावन गीत

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  6. संगीता जी अच्छी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  7. बहुत ही सुंदर मनभावन गीत बरसात की फ़ुहार-सा।
    सादर।

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  8. मन की कलियाँ खिल मुस्कायें ,

    डाली झूम झूम झुक जाएँ ,

    आई लौट बहार ,

    हमारे आंगन में |

    सुन्दर वर्ष गीत....

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  9. सुधियाँ पथ में पलक बिछाएं
    वाह बहुत सुंदर मनोहारी सृजन।

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    1. बहुत बहुत आभार धन्यवाद सुन्दर टिप्पणी के लिए

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  10. वाह मन पुलकित हो गया, बहुत सुंदर

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुखद टिप्पणी के लिये

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  11. मन की कलियाँ खिल मुस्कायें ,

    डाली झूम झूम झुक जाएँ ,

    आई लौट बहार ,

    हमारे आंगन में |
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर मनभावन बरखा गीत
    बहुत ही लाजवाब।

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  12. सुधा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुन्दर टिप्पणी के लिए

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  13. मन की कलियाँ खिल मुस्कायें ,

    डाली झूम झूम झुक जाएँ ,

    आई लौट बहार ,

    हमारे आंगन में |
    बहुत सुंदर मनमोहक गीत।

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  14. ज्योति जी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  15. रिमझिम की पहली फुहार ही वातावरण को आनदमय कर देती है ...
    बूँदें जब आँगन में पड़ती हैं तो महक पूरी कायनात को झंकृत कर देती हैं ... बहुत सुन्दर गीत ...

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    1. नासवा जी सुंदर सुखद टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  16. मंत्रमुग्ध करने वाला गीत! बहुत ही सुंदर😍💓

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  17. मनीषा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुंदर टिप्पणी के लिए

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  18. दीपू जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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