अब देश का मौसम तुम्हें मैं क्या बताऊँ ,
जब हर
दिशा गहरे तिमिर से घिर रही है |
भोर तो आती यहाँ हर रोज लेकिन ,
फूल कोई भी तनिक हँसता नहीं है |
रुकते नहीं एक पल को अश्रु फिर भी ,
वेदना
कोई तनिक सुनता नहीं है |
अब
किसी की सिसकियाँ मैं कैसे दुलारूं ,
मलय तक सांसों की छुअन से डर रही है |
हो गई अध
नग्न बेबस द्रोपदी पर ,
क्रूर दु:शासन तनिक बदला नहीं है |
सब गदा, गांडीव
धारी मौन बैठे ,
रक्त
थोडा भी कहीं पिघला नहीं है |
अब न्याय की आवाज मैं कैसे उठाऊँ ,
जब पूर्ण नगरी चारणों से भर रही है |
अब न कोई बांटता पीड़ा किसी की ,
सिर्फ सब अपने लिए ही जी रहे हैं |
मृत हुए प्राचीन गुण आदर्श सारे ,
स्वार्थ का धीमा जहर सब पी रहे हैं |
उपकार की अब भावना कैसे जगाऊँ ,
सम्वेदना जब हर ह्रदय में मर रही है |
स्व रचित – आलोक सिन्हा
शानदार अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंशिवम जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंसब गदा, गांडीव धारी मौन बैठे ,
जवाब देंहटाएंरक्त थोडा भी कहीं पिघला नहीं है |
अब न्याय की आवाज मैं कैसे उठाऊँ ,
जब पूर्ण नगरी चारणों से भर रही है |
हर संवेदनशील व्यक्ति का मन इसी तरह व्यथित है आज। आपने इस पीड़ा को सटीक अभिव्यक्ति दी है।
कृपया आराम करें, स्वास्थ्य सबसे पहले। रचनाओं पर प्रतिक्रिया बाद में दी जा सकेगी। ईश्वर सबको स्वस्थ रखें यही दुआ है । सादर प्रणाम।
मीना जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार |
जवाब देंहटाएंअब किसी की सिसकियाँ मैं कैसे दुलारूं ,
जवाब देंहटाएंमलय तक सांसों की छुअन से डर रही है |
आज का बहुत ही वास्तविक चित्र है ये,आलोक भाई।
ईश्वर से प्रार्थना है कि आप सब जल्द से जल्द बिल्कुल स्वस्थ्य हो...
बहुत बहुत धन्यवाद ह्रदय से आभार शुभ कामनाओं के लिए
जवाब देंहटाएंसामायिक परिस्थितियों को लेकर सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंअब न कोई बांटता पीड़ा किसी की ,
जवाब देंहटाएंसिर्फ सब अपने लिए ही जी रहे हैं |
मृत हुए प्राचीन गुण आदर्श सारे ,
स्वार्थ का धीमा जहर सब पी रहे हैं |
उपकार की अब भावना कैसे जगाऊँ ,
सम्वेदना जब हर ह्रदय में मर रही है |
सही कहा संवेदना मर रही सबको सिर्फ अपनी पड़ी है...
बहुत ही हृदयस्पर्शी समसामयिक लाजवाब गीत
वाह!!!
आशा है अब आप सपरिवार स्वस्थ होंगे... ।
वर्तमान की सच्चाई पर आधारित सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहमारे ब्लॉग पर भी आइएगा आपका स्वागत है🙏🙏
बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार
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